भारत में छठ पूजा का पर्व उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों — दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड — में इस पर्व की रौनक दिखने लगी है। नदी किनारे, तालाबों और कृत्रिम घाटों की सफाई का काम ज़ोरों पर है। श्रद्धालु छठ माता की पूजा की तैयारियों में व्यस्त हैं।
दिल्ली में छठ पूजा की तैयारियाँ जोरों पर
छठ पूजा का पर्व नज़दीक आते ही दिल्ली में धार्मिक उत्साह अपने चरम पर पहुँच गया है। यमुना घाटों से लेकर कॉलोनियों और सोसायटी इलाकों तक, हर जगह छठी मईया के गीतों की गूंज सुनाई दे रही है। राजधानी दिल्ली में इस पावन पर्व को लेकर प्रशासन और श्रद्धालु दोनों ही पूरी तैयारियों में जुटे हुए हैं। दिल्ली सरकार ने छठ पूजा को लेकर विशेष व्यवस्थाएँ की हैं। राजधानी के प्रमुख घाटों जैसे कालिंदी कुंज, यमुना घाट, मयूर विहार और सीडब्ल्यूजी घाट पर सफाई और सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।
नगर निगम की टीमें लगातार घाटों की सफाई कर रही हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस ने भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष योजना तैयार की है। पूजा स्थल पर महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती, सीसीटीवी कैमरे और मेडिकल टीमों को भी लगाया गया है।
सरकार ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे निर्धारित घाटों पर ही पूजा करें और यमुना नदी में प्रदूषण फैलाने वाले पदार्थों का उपयोग न करें।
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तेलंगाना में मौसमी बीमारियों को लेकर स्वास्थ्य सला
तेलंगाना सरकार ने हाल ही में बढ़ते मौसमी रोगों को देखते हुए लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। राज्य में बदलते मौसम के कारण डेंगू, वायरल फीवर और सर्दी-जुकाम के मामले बढ़ रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि वे:
- साफ-सफाई का ध्यान रखें
- खुले में रखे पानी को ढककर रखें
- मच्छरों से बचाव के लिए रिपेलेंट्स का उपयोग करें
- बच्चों और बुजुर्गों को तापमान में गिरावट से बचाने के लिए उचित कपड़े पहनाएँ
डॉक्टरों ने कहा है कि मौसम में अचानक बदलाव से प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर पड़ता है, इसलिए हेल्दी डाइट और हाइड्रेशन बहुत ज़रूरी है।
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उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड में बढ़ी ठंड, स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी
उत्तर भारत के कई राज्यों में ठंडी हवाएँ चलने लगी हैं। मौसम विभाग के अनुसार, तापमान में गिरावट आने वाले कुछ दिनों तक जारी रह सकती है।
स्वास्थ्य विभाग ने विशेष रूप से बुजुर्गों और बच्चों को सतर्क रहने की सलाह दी है। ठंड से बचाव के लिए उन्हें गर्म कपड़े पहनने, रात में बाहर न निकलने और गरम पेय पदार्थों का सेवन करने की हिदायत दी गई है।
मौसम में बदलाव के कारण सर्दी-जुकाम, खाँसी और वायरल संक्रमण के मामले भी बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों ने लोगों से कहा है कि वे भोजन में तुलसी, अदरक और हल्दी जैसी चीज़ें शामिल करें ताकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे।
बिहार और झारखंड में छठ पूजा के कारण स्कूलों में अवकाश
छठ पूजा का महत्व बिहार और झारखंड में सबसे अधिक देखा जाता है। यहाँ के हर घर में छठ माता की पूजा श्रद्धा और परंपरा से की जाती है।
इस मौके पर राज्य सरकार ने स्कूलों और सरकारी कार्यालयों में अवकाश घोषित किया है ताकि छात्र और कर्मचारी पूजा की तैयारी में शामिल हो सकें।
प्रशासन ने माता-पिता से अपील की है कि वे बच्चों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें, खासकर उन इलाकों में जहाँ घाटों पर भीड़ रहती है। कई जगहों पर ट्रैफिक डायवर्जन और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतज़ाम भी किए गए हैं।
छठ पूजा का धार्मिक और सामाजिक महत्व
भारत त्योहारों की भूमि है, जहाँ हर पर्व अपने साथ आस्था, संस्कृति और समाज के गहरे अर्थ लेकर आता है। इन्हीं में से एक सबसे पवित्र और अनुशासित पर्व है — छठ पूजा। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सामाजिक और पर्यावरणीय संदेश भी अत्यंत गहरा है।
छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है, जो जीवन, ऊर्जा और प्रकृति के संरक्षण का प्रतीक हैं। इस पर्व को विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।छठ पूजा सूर्य देव और छठी मईया को समर्पित एक प्राचीन वैदिक पर्व है। यह पर्व प्रकृति, सूर्य और जल की उपासना का प्रतीक है। महिलाएँ चार दिन तक कठोर व्रत रखती हैं और शाम व सुबह के समय सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।
इस पर्व का सबसे सुंदर पहलू यह है कि इसमें शुद्धता, अनुशासन और पारिवारिक एकता झलकती है। यह केवल धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य का संदेश भी देता है।
निष्कर्ष
देश के कई हिस्सों में छठ पूजा की तैयारियाँ जोरों पर हैं। दिल्ली में प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की है, जबकि तेलंगाना और उत्तर भारत के अन्य राज्यों में मौसम और स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता बरती जा रही है।
यह पर्व न केवल भक्ति और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भी सिखाता है कि शुद्धता, संयम और प्रकृति के प्रति सम्मान हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए।






